Saturday, 5 April 2025

"कोरोना महासंकट"

कोरोना  महासंकट

विरान सड़के
एके दूके बिखरे लोग
उजड़ गया हो किसी का चमन
भय का पसरा सन्नाटा
माता माई आई या
महामारी बनकर आईं
भेद समझ नहीं आई!

बिमारी से कम मरते लोग
उसे ज्यादा भूख से बिलबिलाते
दुर्घटना में काल कलवित
तूफान से उजड़ जाते लोग!

बचाव में कभी बार बार
अपना हाथ धोते लोग
हाथ किसी से न मिलाते
दूर से राम राम कहते लोग
भिड़भाड़ से दूर रहते लोगों!

कहते चायना के लेब से आईं
प्राणघातक है ये बिमारी
कोई कहता चमगादड़ो से
ये वायरस बनकर  वुहान शहर से
दुनिया के नौ देशों को छोड़
पूरी दुनिया में अपने पांव पसारे !

जीवन संकट उत्पन्न कर चुका
चीन में मौतों का आकड़ा
आज भी बना हुआ रहस्य
भारत में लाख से पार
इटली,स्पेन में लाशों की ढेर
अमेरिका की महाशक्ति डोली
कोरोना की दवा न बना सकी
हे राम अब तुम ही कोरोना
जैसे सक्रमण फैलाने वाले
वायरस से सृष्टि को मुक्त
करने का कोई उपाय सुझाव!

कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
कटिहार बिहार