Saturday, 22 December 2018

"धन्य गई मेरी कलम"

धन्य हो गई मेरी कलम
जो तुमको शब्दों में लिखती है
और लिखती रहेगी जब तक
तुम चाहोंगे......
क्योंकि तुम मेरे मन की
वो शक्ति हो जिसे
मेरी कलम मेहसूस करती है.....
इसलिए तो चलती रहती है
बिना रूके बिना थके बिना
मेरे कहें मेरी काव्यों के पन्नों पे!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
23/12/18

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