चरित्रहीन आदमी"
उस आदमी के हत्या करने का
बार बार मन में विचार आता है
जिससे रिश्ता पालकर्ता का है
पर मरे को मारना कहाँ उचित है
जिसका आत्मा मर चुकी हो!
जिसने कभी गोद में खिलाया
हाथ पकड़ कर चलना सिखाया
साइकिल पर दौड़ना सिखाया
बेटी को भी बेटे के बराबर माना
बाहर पढ़ाई के लिए भेजा
पांव पर खड़ा होने लायक बनाया!
आखिर क्यों?उस आदमी के
हत्या का विचार मेरे मन में आया
सोचती हूँ वो परिवार कितना
विवश हो जाता होगा जो
इस अपराध को अंजाम देता होगा
अवैध संबंध जाने कितने ही
घरों को बर्बाद कर रख देता हैं!
जवान बेटियाँ बिन हाथ
पीले हुए ही बुढ़ी हो जाती
कुछ मजबूर होकर भाग जाती
बेटे सम्पत्ति के लालसा में
पिता का ही साथ देते है व
समाजिक प्रतिष्ठा बचाते हैं
पत्नी को अपेक्षित छोड़
लोग उप पत्नियों रख लेते
जो रिश्ते में कुछ लगती है!
पर कहाँ लोक लाज का भय
स्त्रियों के मन में होता है जब
वो तृया चरित्र पर उतर आती
पुरूष तो ढ़ीठ होते ही है
काम सुख के आगे उनकी
बेटी भी नहीं दिखती है
ब्राह्मा जी इसी अपराध वश
अन्य देवताओं की भांति पृथ्वी
पर कहीं पूजे नहीं जाते हैं!
मैं उनकी हत्या कभी नहीं करूंगी
ये कानून की नजर में अपराध है
धर्म के अनुसार पाप होता है
सुना है ईश्वर सबको उसके
किएं हुए कर्मो का फल देते है
उस पापी को भी दंड अवश्य मिलेगा
क्योंकि किया हुआ पाप छुपता नहीं!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
पूर्णिया,बिहार
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