Saturday 8 June 2019

"अब मैं चुप नहीं रहूँगी"

बहुत हो गया
तुम्हारे जुल्मों का इतिहास हो गया
जाने कितनी सदियाँ बीती पर
तुम्हारी जारशाही नहीं गई
ना मेरी गुलामी!
मेरे शरीर की
मेरे गर्भ की
मेरे बेटी जनने की
मेरे खुलकर हँसने की
मेरे बहुत बोलने की
मैं अब चुप नहीं रहूँगी
बहुत हो गया!
मुझे सारे अधिकार स्वंत्रता
व समानता बराबरी में चाहिए
जैसे कि तुम पाते हो
क्योंकि अब मैं हर क्षेत्र में प्रभावी हूँ
मुझे तुम्हारे परम्पराओं से
मुझे तुम्हारे खोखले संस्कारों से
तुम्हारे नौतिकता के दो तरफा मापदंडो से
आजादी चाहिए क्योंकि
मैं आधुनिक नारी हूँ
आर्थिक रूप में स्वालंबी हूँ
शिक्षा दीक्षा में पुरूषों से कमत्तर नहीं
इसलिए तुम्हारे बचेखुचे पृत्तिसत्तात्मक से
आजादी चाहती हूँ क्योंकि
मेरे लिए क्या गलत या सही होगा
इसका निर्णय लेने की मैं अब सक्षम हूँ
अपने बच्चों का पालन पोषण करने में
वो सभी परिस्थितियों से लड़ने के लिए
मैं प्रतिबद्ध हूँ तुम साथ दो या ना दूँ!
इसलिए मेरी अंतिम चेतावनी
अब भी वक्त है संभल जाओ
समेट लो इन्हें अब मुझसे
क्योंकि मैं आजाद परिदां हूँ!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'

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