Monday 8 January 2018

"तेरा दिल भी निकाल लूँ"

तेरा बेवफ़ाई पर
मेरा इंतकाम तो कुछ भी नहीं
तेरा दिल भी निकल लूँ तो
मेरा दर्द कम न होगा
जो रोज मेरी आँखों से
बिना रोके टोके निकलता
शोर ज़ोरा भी नहीं करता!
पर धड़कनों की गति में
अवरोध पैदा करता तो
कभी रक्त के संचार में
रूकावटें डालता है
कभी मन में द्वैत पैदा करता है
कभी मस्तिष्क को
इधर उधर भटकाता है!
क्या तुझसे प्यार करना
बदले में थोड़ा प्यार
तुझसे पाने की उम्मीद में
मेरा रोज जीना मरना
तुझे गंवारा नहीं जो
मेरी पहली भूल आखरी भूल
बनकर रह गई
पुन:भूल करने के लिए
एक दिल होना जरूरी
जो पहले ही तुम्हें दे दिया
इसलिए तो मुझे पेसमेकर
जल्दी लग गया
चाहे जितनी बार दिल तोड़ों
दिल टूटेगा नहीं
जब मेसमेकर के कलपुर्जे जबाब देगें
सब कुछ शांत हो जाएगा
जो मेरे अंदर बाहर उबल रहा!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
९/१/१८

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