Monday 8 January 2018

"दिल"

क्यों रोया दिल
आँसू में!
क्यों जागा दिल
ख्वाबों में!
क्यों सोया दिल
तन्हाओं में!
क्यों खोया दिल
तेरी बातों में!
क्यों चाहे दिल
तेरे ही चेहरे को!
क्यों भूले दिल
बीती यादों को!
क्यों गाया दिल
तेरी बेवफाई पे!
क्यों सताता दिल
तेरे ना होने पे!
फिर आ भी जाओ
यही चाहे मेरा दिल!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
९/१/१८

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