शब्द क्यों मौन हुए है
मातम पसरा हर ओर है
वीरों की कुर्बानी से रक्त रंजित हुई
धरा,रो रो कर माँ का हाल बुरा है,
धरती माँ का कलेजा़ फट रहा
माँ का लला छीन गया
बुढ़ापे की लाठी टूट गई
मांग का सिंदूर सुना पड़ा
बहन की राखी उदास रही
बच्चों का बचपन छीना!
लड़ रहे" जिहाद"युवा
जिस कश्मीर की आजादी का
उस कश्मीर के कर दो टूकडे टकड़े
विशेष संविधान का अधिकार
और विशेष राज्य का दर्जा हटाओ
बना दो उसे समान्य राज्य!
भरा जिसके सीने में नफरत हो
चीर दो उसके सीने को
हिंदू हो या मुस्लिम हो
आंतकी जो मचाए आंतक
नामोनिशान उसका मिटा दो
फिर से करो सर्जिकल स्ट्राइक!
जो कर रहे हमारी सीमा को कम
मिटा दो उसके नामोनिंशा
विश्व के नक्शे से सदा के लिए!
समझाने पर जो ना समझे
छोड़ दो परमाणुबम मोदी जी
जनता मरती है तो मरने दो
आर पार की तुम जंग लड़ो!
पहले भी भारत पाक के बीच
तीन महायुद्ध लड़े जा चुके है
चौथे के लिए हम नौजवान है तैयार
सीने पे गोली खानेवालो़ का बदला चाहिए
पुलवामा में शहीद हुए चालिस सैनिको का!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
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