हमारे पूर्वज जो भूतपूर्व हो गए
और हम मानव वर्तमान हो गए!
कभी उनका जमाना था
आज हमारा जमाना है
शायद कल किसी और का होगा
जो हमने देखा नहीं पर समझते तो है
सदा किसी का भी जमाना नहीं रहता
एक दिन हम भी नष्ट हो जाएगें
बीते सभ्यता बीते लोगों बीती संस्कति
बीती पंरपराओं की तरह
केवल हमारे कंकालों का अवशेष बचेगें
फिर हम क्यों घमंड के मद में चूर
भूल जाते हम क्या थे
हमारे पूर्वज कौन थे
वो हमे किस उदेश्य से धरती पर लाए थे
और हम यहाँ क्या कर रहे
लक्षयवहीन दिशावहीन से
मायावी दुनिया के छलावे में भटक रहे
हम मानव भूल गए कि हम अपने पूर्वजों का
इतिहास आगे बढ़ाने आए है!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
Wednesday 24 July 2019
"हम पूर्वजों का इतिहास आगे बढ़ाने आए है"
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