Wednesday 25 September 2019

"औरत क्या है"

औरत चादर सी बिछती
तौलिया सी समटती
दिन रात की कहानी है!
झाड़ू सी बुहरती
रात मन से गंदा होती
सुबह तन से साफ होती
बरतन सी मजती
सिलबट्टे पर घिसती
रसोई में रगड़ती
रोज रोज की रवानी है!
आटे सी सनती
घुन सी पीसती
बच्चा को जनती
सबकी सेवा करती
घर की नौकरानी है!
पति की अद्धागंनी
जीवन की संगीनी
सुख दुख की साथी
कहलाती महारानी है!
कन्या देवी स्वरूपा होती
औरत अन्यपूर्णा होती
घर की लक्ष्मी होती
ममता की संसार होती
परिवार की संकटहरनी है!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना पूर्णियाँ,बिहार

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