ख़्वाब आते रहेंगे
जख़्म सीते रहेंगे
भूखे है गूर्बतों में
भूख सहते रहेंगे
हम अंधेरा मिटाने
दिल जलाते रहेंगे
उम्र के साथ अपने
दर्द बढ़ते रहेंगे
नज़्म हर पल सुनाऊँ
गर वो सुनते रहेंगे
मुल्क की शान में हम
सिर कटाते रहेंगे!
"अर्चना"इश्क मत कर
रोज मरते रहेंगे!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
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