Friday 12 April 2019

"माला"

माला की खूबी है
जो धारण करे वही
खुद को भगवाम समझे
गदगद उसकी छाती
छत्तीस इंच चौड़ी हो जाती!
जैसे ही माला उतरता है
भगवान बनना आसान काम नहीं
उनके भेजे में समझ आ जाता
सदा दिखावा करते रहना आसान काम नहीं
घरती पर नेतागण जनता जनार्दन के
अनुनय को अस्वीकार नहीं करते है
परन्तु धन धान्य लेने के बाद ही!
पर भगवान चाहे तो चढ़ावा दो या नहीं
वो मन की बात सुन लेते है
बस मन में श्रद्धा कूट कूटकर भरी हो!
माला भी भली भाँति जानती है कि
वो किसके गले में जा रही
भगवान या शैतान के!
खूशबू तो दोनों जगह देती है
भगवान के गले में जाकर जब
सबकी मन्नत पूरी करती है!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार

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