Wednesday 3 April 2019

ग़ज़ल

चेहरा लगता जाना पहचाना हुआ
फिर तु क्यों मुझसे ही अंजाना हुआ!
तुझसे भींगी भींगी सी नज़रे मिली
मेरा ये दिल तेरा दिवाना हुआ!
रात दिन जलती शमा के जैसी मैं
मेरा ये दिल अब तो मस्ताना हुआ!
अब तेरे ख्यालों में जीती रात दिन
और ये दिल तेरे परवाना हुआ
तेरे बिन इक पल जिया जाए न अब
मेरा ये दिल अब तो बेगाना हुआ!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार

No comments:

Post a Comment