Wednesday 17 April 2019

"जाॅनी तू रैम नहीं था"

जाॅनी तू रैम नहीं था जो
मैं तुम्हें भूल जाऊँ
तू तो मेरे बच्पन का प्यारा दोस्त था
जिसके साथ मैं खेला करती थी
रस्सी कूदा करती थी
गाने के धुन पर दोनों
साथ साथ झूमा करते थे
जब स्कूल से आते तो
घर के बाहर हमारा इंतजार किया करता था
जब हम भाई पढ़ते थे चुपचाप सुना करता था
बोलने पर मुढ़ी हिला दिया करता था
जैसे सब समझ रहा हो!
ओ जाॅनी तुम कितने प्यारे
और कितने अच्छे थे
दिन में गौ माता की और
रात घर की रखवाली में
सदा मेहनत की खाते थे
तुम बिमार होने पर भी
दरवाजे के बाहर कदम नहीं रखते थे
वफादारी तुम्हारे ख़ून में भरी पड़ी थी
कभी किसी बड़े या छोटे बच्चों को काँटते नहीं थे
बस सूंघ कर छोड़ देते थे
बाद धीमे धीमे भौ भौ कर
अपना फर्ज पूरा करते थे
तुम पर जाने कैसे दूर से ही
किसी अजनबी को देखकर
जोर जोर से भैंकने लगते थे
तुम मज़ाल है कोई घर में घुस जायें
उसे तुम से होकर गुजरना होगा
जाॅनी जाने कैसे तुम्हें
खतरनाक बिमारी लग गई
बहुत इलाज कराया
सरकारी जानवरों के असापताल में
पर जहाँ पर इन्सानों के लिए
बढ़िया सुविधा,दवा और डाॅक्टर कम हो
वहाँ जानवर का इलाज कौन करता है
छोटे शहरों और गाँव में क्या विदेशी नस्ल
क्या देशी सब है बराबर
बस पशु खरीदने वक्त शूल्क का फर्क होता
मरने के बाद जानवरों को
शमशान में दफ़नाएं यहाँ वहाँ ना फेंके
पर हमने जॉनी को अपने
घर के बगीचे में गाड़ दिया
कोई जानवर ना उसे खा जाए
उसकी आत्मा आज भी
मेरे घर की रखवाली करती
तभी तो आजतक कभी मेरे घर चोरी ना हुई
जॉनी तू रैम नहीं था
जो तूझे भूले से मैं भूल जाऊँ
जितना प्यार तुझे किया और
किसी कुत्तों को नहीं
पापा बहुत सारे देशी कुत्तों को पाले
पर वो ना जॉनी की जगह ले सके
ना मेरे दिल में जगह बना सके
आई लव यू जॉनी!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
पूर्णायाँ,बिहार
मौलिक रचना

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