हे तो लिंग हर पुरूष को
पर शिव का लिंग शिवलिंग कहलाता
क्योंकि वो है परम पूजनिय महादेव
त्रिलोक के स्वामीजी!
शवपुराण कहता ज्योतिपिण्ड
जब पृथ्वी पर गिरी तब
शिवलिंह की उत्पत्ति हुई!
वैशिक शास्त्र कहता ब्रहांड में
उपस्थित समस्त ठोस व उर्जा शिवलिंग है हमारा शरीर पदार्थ और
आत्माउर्जा से निर्मित है!
विज्ञान कहता पदार्थ को उर्जा में
बदलने पर वो दो नहीं है एक ही है
पर दो होकर ही सृष्टि की उत्पत्ति करते है!
शिवलिंग शिव व आदि शक्ति का
आदि अनादी एक रूप है
परम पुरूष का प्रतिक है
पुरूष और प्रकृति के समानता का
प्रतिक चिन्ह है!
परन्तु कहीं ना कहीं शिवलिंग
पुरूषवादी सत्ता का प्रतिक
रूपी चिन्ह भी है
ये लिंग जो उसकी श्रेष्ठा साबित करता
सृष्टि का एक मात्र निर्धारक है वो!
एक सामान्य पुरूष को
किसी स्त्री को लिंग दिखाने पर
आईपीसी की धारा पाँचसौ नौ लगता व
एक वर्ष की सजा होती
फिर ऐसे सार्वजिनक रूप से
लिंग की पूजा क्यों होती
ये कैसा स्त्रियों का सम्मान है
जहाँ कई मंदिरों के गर्भ गृह में
आज भी स्त्रियों का प्रवेश निषेध है
महावारी में स्त्री अपवित्र है
जो सृष्टि के जननी का आधार है
फिर लिंग की क्यों पूजा की जाती
जो पुरूष की मानंसिकता को बढ़वा देती
वैसा भारत में योनि की पूजा होती
पर कितने मंदिरों में ये होती!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
१४/१२/१७
Thursday 14 December 2017
" लिंग"
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