"मिलन की कवितायें लिखती हूँ"
कविताओं को लिख रही हूँ
या तुमको लिख रही हूँ ! कविताओं को इतना प्यार करती हूँ क्योंकि तुमसे मुझे आज भी प्यार है ! ढूढ़ती तो मैं शब्दों को पर तुममें कहीं खो जाती हूँ ! फुर्सत के क्षणों में इन कविताओं के सहारे तुमको याद करती हूँ ! बीते पलों को मैं फिर से
जीना चाहती हूँ इसलिए मिलन की कवितायें लिखती हूँ ! कुमारी अर्चना मौलिक रचना पूर्णियाँ,बिहार १३/५/१८
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