मैं कवयित्री हूँ
मैं कवियत्री हूँ दर्द को दिल में छुपा रखती हूँ कविता कर अपना दर्द बताती हूँ ! दवात की जगह आँसू उढ़ेलती हूँ कलम की जगह कल्पनाओं से लिखती हूँ ! कागज मेरा कोरा जीवन है जिस पर अपनी सतरंगी भावनायें उकेरती हूँ बीते वर्षो से मैं अपने, पन्ने दर पन्ने जोड़ती हूँ! प्रेमी मेरा कविता है बिना उसको लिखे मैं नहीं रह पाती हूँ ! प्यार मेरा कविता है उसको पढ़े मैं नहीं रह पाती हूँ ! तुम मेरी कविता के पन्नों को पढ़ लोगे तो समझो मेरी जिन्दग़ी को पढ़ लिया ! कुमारी अर्चना ,पूर्णियाँ,बिहार, मौलिक रचना, २०/५/१८
Interesting.
ReplyDeletePlease keep writing such heart touching poetries .Thanks