भूखे पेट मैं नहीं गाउँगा
जय हो भारत भाग्य विधाता!
नंगा मैं नहीं गाउँगा
जनगण मंगल दायक जय हो!
बिन छप्पर के मैं नहीं गाउँगा
वंदेमातरम् वंदेमातरम् वंदेमातरम्!
अराजकवादी व भष्ट्राचारी देश
मैं नहीं कहूँगा कभी गाँधी स्वराज आएगा
कभी राम का रामराज्य आएगा
चहूँ ओर सुख शांति व खुशहाली होगी
सम्मान नहीं मैं तिरंगा का कर पाउँगा
जब मेरा बेगुनाह बेटा मुठभेड़ में
गोलियों से मरा गया हो
मेरी जवान बेटी आज भी गुमशुदा हो
मेरे बूढ़े बाप का पेंशन ना मिला हो
मेरी माँ अपने बेटे और बेटी के
इंतजार में रोती बिल्खती रहती हो
तिरंगा वो मैं नहीं फहराउँगा!
जानता हूँ हम आजाद है
अधिनायकवाद ब्रिटिश महारानी विटोरिया का
नहीं है,भारत माता का है
जब माता के सारे लालों का
पालन पोषण समान नहीं तो
कोई बहुत अमीर होता तो
किसी को अन्न के लाले पड़े हो
असमानता दिखती है हर क्षेत्र में
बेरोजगार दिखता है आज का युवा
फिर कैसे मैं और मेरे जैसे कई
जय हो भारत भाग्य विधाता कहें!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
23/12/18
Saturday 12 May 2018
"भूखे पेटमैं नहीं गाउँगा"
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