Monday 6 May 2019

"एक बार जी तो लूँ"

मौत तो आनी है
एक बार जी तो लूँ
बचपन खेलने में बीता
जवानी पढ़ने में
आधा उम्र में नौकरी मिली
बचा उम्र कमा कर
बीबी बच्चों को खिलाने में
बुढ़ापा पश्ताने में!
मैं अपनी जिन्दगी जिया कब
मैं अपनी मर्जी किया कब
जब किसी से प्यार किया
प्यार में धोखा खाया
पढ़ाई की फिर भी
बार बार असफल रहा
किस्मत को कोसता रहा!
ये भी कोई जिन्दगी थी
जो कुछ पाने में अपना सब खो दिया
सोचता रहा पर कुछ भी न कर सका!
जीना चाहता था
उड़ान भरना चाहता था
जेब में रूपैये नहीं थे
प्यार करना चाहता था
पर एक प्रमिका पास नहीं थी
तो कभी वक्त पास नहीं
बहुत पढ़ना है अभी!
एक बार जी तो लूँ
जी भर खा लूँ अपने मन की
जी भर पी लूँ तेरे लबों की लाली
जी भर कर लूँ चाहे उटपटांग ही सही
यही तो जिन्दगी है
फिर मौत तो आनी है!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना

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