Thursday 16 May 2019

"ऐ नानी तुमको देखा नहीं"

ऐ नानी तुमको देखा नहीं
जैसे भगवान को देखा नहीं
क्या तुम भगवान के घर गई हो
जो बुलाने पर भी नहीं आती!
कहते है भगवान जिनको बहुत प्यारे लगते है
उन्हें जल्दी बुला लेते है
क्या तुम इतनी प्यारी थी
गोल मटोल चाँद सी!
कहते है मरने के बाद लोग
तारे बन जाते है टिमटिमाते हुए
दूर से अपनों को दिख जाते है
पर मैं अनगनित तारों में तुमको कैसे ढूढूँ
नानी मैंने तुमको देखा नहीं!
कोई फोटो भी तो नहीं
माँ कहती थी उस जमाने में
लोग फोटो नहीं खिचवाते थे
काश् तुम्हारी कोई निशानी होती
उसी को प्यार कर लेती!
माँ कहती है तुम बहुत बढ़िया खाना बनाती थी
लोग ऊँगलिया चाटते रह जाते थे
तुम बाजार करने में बड़ी तेज थी
सब्जी और फल भी बेचती थी
माँ को खाना बनाने नहीं देती थी
तुम बहुत ही मेहनती थी
घर की "लक्ष्मी" जैसी थी
सुबह उठकर सारा काम करती थी
और देर रात को सोती थी
खेती में भी मजदूरों से करवाती थी!
माँ कहती ग़र तुम जिंदा रहती तो
खुब हमारी तेल मालिश करती
बढ़िया खाना बनाकर खिलाती
नानी तुम इतनी जल्दी क्यों चली गई
मेरे बड़े होने के बाद इस दुनिया से जाती
तुम बिमारी से माँ की शादी के दो
साल बाद ही क्यों मर गई
नानी तुमको देखा नहीं!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना

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