जार्जेट पीले पल्ले में लिपट
ठढ़ में गुनगुनाहट भी आ गई
ओस की बूँदे मोती भरकर
खेतों में हरियाली भी भा गई
सरसों पीले रंगों से सजकर
गन्ने में रसभरी आ गई
फूलों में कली सी खिलकर
रजाई ने अँगड़ाई भी ले ली
कौआ ने पाँखे खुजालाकर
चिड़ियाँ दाना भी चुनगई
गोरी पर यौवन चढ़ आया
बताओ सजना कब आओगे!
नवम्बर होता है साल का ग्यारहवाँ
वो महीना एक एक जुड़कर होते दो
एकता से विश्वास को दर्शाता!
त्योहारों का मौसम आता
दीपावली से घर आँगन चमकता
छठ में होता सुर्य की अराधना
महिला पुरूष रहते उपवास
तीज में गोरी होती हरी भरी!
हिन्दू कलैन्डर का बैसाख माह
गुरूनानक की मनाती जयन्ती
बुद्ध पूर्णिमा को ही बुद्ध को हुआ
जन्म,ज्ञान प्राप्ती और महानिर्वाण!
छा गई खुशियों की सौगात
खिली चेहरों पर मुस्कान
बच्चों ने मनाया बाल दिवस
मैं कब मनाऊँगी उल्लास
बीतने लगा नवम्बर का महीना
बताओ सजना कब आओगे!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
22/12/18
Saturday, 22 December 2018
" नवम्बर तुम आ गए"
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