आँसू आँखो से नहीं
दिल से बहे है
तुम बाहर से देख रहे
दर्द दिल में है!
आँखो में कुछ अटका नहीं
दवा आँखो को नहीं
टूटे दिल को चाहिए
मरहम वक्त नहीं इसका
प्यार जो तुम्हारा मुझे दे सकता!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
29/12/18
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