मैं हिरोइन का दिवाना हूँ
ये नशा मधहोश कर देता है
पर मैं जिस हिरोइन का दिवाना हूँ
वो पर्दा पर अपने ऊभिनय का जलवा
दिखलाती और अपना खुबसूरत जिस्म भी!
जिसे देखने लोग थियेटरों में जाते है
अब पर्दा उठेगा नायिका कुछ तो दिखायेगी
पूरी फिल्म खत्म कुछ दिखाया ही नहीं
वो पुराने जमाने की फिल्में थी!
पर जो हम सोचते है ख्वाबों में
आज वो सब परोसती है हिरोइने!
उसके प्यार का दिवाना दर्शक
ब्लैक में मूवी की टिकट लेता है
पाॅकेट में पैसा हो ना हो उधार लेता है
बच्चे उसे देखने को चोरी तक करते है
उसके लिए मंदिर भी बनवाते है
अपनी जान भी उसके नाम कर देने से पहले
तनिक भी नहीं सोचते उसके जाने के बाद
उनके परिवार पर क्या बितेगी
अनगिनीत दर्शक जान गँवा चुके!
कहते है मैं हिरोइन का दिवाना हूँ
मेरा कोई दिवानगी होनी चाहिए!
कुमारी अर्चना
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार
29/12/18
Saturday 29 December 2018
"मैं हिरोइन का दिवाना"
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