पन्नों पर लिखने से पहले
कविता मानस पटल लिखूँ!!
क्यों तन मन में यह टूटन है
चटका मेरा भी दर्पण है क्यों
जाते वो भूल व्यथा को उपचार"
अर्चना,"चिंतन है!
घावों पर मलहम हो जाये
ऐसा अब नवनीत करूं!
पन्नों पर लिखने से पहले
कविता मानस पटल लिखूं!!
देखो भू पर कूड़ा कचरा दुर्गंधित है,
जो यह बिखरा अपना दोष
दूसरे को मत देकर,
पथ कर दे जो निखरा
हर कोई मुस्काये फिर तो
ऐसा मैं मनजीत करूं!
पन्नों पर लिखने से पहले
कविता मानस पटल लिखूँ!!
दूजे की पीड़ा को हरकर
निर्झर-सा तू भी अब
झर-झर मैं मुस्काऊँ,
तू मुस्काये हम दोनो ही
झोली भरकर हम भी महके,
तुम भी चहको ऐसी मनहर प्रीत भरूं!
शब्दों को अर्थो के पख दे
नये नवीले गीत रचूं!!
कुमारी अर्चना
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार
23/12/18
Sunday, 23 December 2018
"पन्नों पर लिखने से पहले"
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