Sunday 16 December 2018

ओ मृगनयनी

ओ मृगनयनी आ मैं तुझसे प्यार करूँ
पास बिठा के जी भर कर दीदार करूँ!

दूर खड़ी हो ऐसे नयन मिलाओ ना
नाजुक दिल है धड़कन प्रिय बढ़ाओ ना
मैं कब से बाँहे फैसले बैठा हूँ
आ भी जाओ इतना भी तड़पाओं ना
तुझे समर्पित इन बाँहों का हार करूँ
ओ मृगनयनी आ मैं तुझसे प्यार करूँ!

आ दो दिल की धड़कन एक बना दूँ मैं!
आ तेरी साँसो में साँस मिला दूँ!
तेरे नाज़ुक लव पर अपने लव रखकर
आ तेरे अंतस् की प्यास बुझा दूँ मैं!
सात जन्म का आ तुमसे इकरार करूँ
ओ मृगनयनी आ मैं तुझसे प्यार करूँ!

तू रोयेगी तो मैं भी रो जाऊँगा
मैं बिल्कुल तेरे जैसा हो जाऊँगा!
जल में मिलके हिम ज्यौ जल हो जाती है
तुमसे मिलकर मैं यौ तुममें खो जाऊँगा
तुझको ही अपने दिल का संसार करूँ
ओ मृगनयनी आ मैं तुझसे प्यार करूँ!

कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
16/12/18

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