चुनरिया रंग दे रे रंगरेज!
तू रंग प्यार का इसमें भर दे!
माथे पे कुमकुम सजा दे
मेरे हाथों में लाल चुड़ियाँ पहना दे
धानी चुनरिया शीष पे धर दे
सिंदूर से मेरी मांग भर दे
तू मुझे अपनी दुल्हनया कर दे!
तू रंग प्यार का इसमें भर दे!!
ना ही मुझे सता तू गलियों में
तू मिले मुझे अब चौबारों में
खेतों की मेढ़ों- खलिहानों
क्या तू रंग रोज ही बौछारों में!
तू नये वसन पहना कर मुझको
मेरा कष्ट दूर अब कर दे!
तू रंग प्यार का इसमें भर दे!!
मेरे श्वेत लिबाज़ हुए कुचैले धो दे
निज हाथों से चमका कर
और चाँद,सितारे जड़ दे
इनमें तू टूटे मन में उमंग भर दे
इस यौवन को सतरंगी कर दे!
तू रंग प्यार का इस में भर दे!!
कुमारी अर्चना
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार
23/12/18
Sunday 23 December 2018
"ओ मेरे रंगरेज"
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