"बसंत ऋतु आयो रे"
बसंत ऋतु आई
पूर्वया ठंढी पवन बहे
फूल खिलखिलाये
खुशबू बैलाये
भौरा ललचाये
खुशबू फैलाये
तितली फुर्फुराये
मक्खी भिनभिनाये
कोयल कूँ कियाये
मोर नाच दिखाये
कोपले निकल आये
मंजर बौराये
रागिनी गुनगुनाये
पौधे लहलाये
बच्चे खिल खिलाये
मैं बसंती बनकर
सरसों में झूम झूम
पिया मिलन के गीत गाउँ
बसंत ऋतु आयो रे
बसंत ऋतु आयो रे!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
29/12/18
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