खट्टा आम मिठ्ठा आम
नीचे आम ऊपर आम
सब सब आ जाएगा
मेरे छोटे से पेट में!
मैं हूँ पेटूराम
नाम है मेरा गोलू राम
हा हा हा
मन को बहुत भाता आम
देख जी ललचाता आम!
पेड़ के इर्द्र गिर्द्र मधुमक्खियों जैसे मंडराते
एक दो आम टपक कर
हमारे सिर पर गिरते
बच्चे हैं हम हा हा हा सच है हम!
आम है फलों का राजा
भारत देश का है"राष्ट्रीय फल"
हमको बहुत ये प्यारा!
मैं भी एक बाग लगाऊँगा
अकबर ने भी लाखी बाग लगवाएं थे
फिर मनभर दोस्तों संग खाऊँगा!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ, बिहार
मौलिक रचना
20/12/18
No comments:
Post a Comment