Saturday 22 December 2018

"बरगद"

छाँव देता सुरक्षा देता
घैर्य देता शांति देता
आशीष देता हवा में
शिखाएँ लहराती हुई
जमीन में घुस स्तंभ बन जाती
शाखाओ से वंश को बढ़ती
जैसे मानुष्य संतान पैदा कर!
माता की भाँति इसकी शाखाओं
और कलिकाओं से
दूधधारा का संचार होता!
वृक्षों में महत्ता के कारण
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष कहलाता!
बरगद की ये शाखाएं
संकट में भी साथ नहीं छोड़ती
हम बूढ़े माँ बाप बेसरा कर देते
दो वक्त की रोटी पानी
एक ही माँ बाप को कई बच्चें
मिल के भी खिला नहीं पाते है क्यों ?
जबाब मैं कई जबाब मिलते!
इसका धार्मिक महत्ता कम नहीं
त्रिमूर्तियों में वट, पीपल व नीम
साक्षात ब्रह्मा का प्रतिक है
बरगद यश के निकट होने से
इसे यक्षवाश भी कहा जाता है
वट सावित्री का व्रत सुहागिने पति
व संतान के सौभाग्य व
सुख और दीर्घायु जीवन के लिए
इसकी पूजा -अर्चना कर
लाल धागे से परिक्रमा कर घेरती
पति सारी बलाओं से मुक्त रहे!
सभी नक्षत्रों में से एक माघा वट वृक्ष है
इसके नीचे पूजन,तपस्या,व्रत से
सभी मनोकामने की पूर्ति होती है!
हे बरगद के पेड़ आज मैं भी
मनोकामना माँगना चाहती हूँ
मेरा देश खुशहाल रहे
भूखे को दो जून भोजन मिले
बेरोजगार को रोजगार मिले
धर्म के नाम पर ना कभी दंगे हो
स्त्रियाँ स्वंय स्वावलंबी बने
वृद्धों को परिवार का साथ मिले
अतिथियों का सत्कार हो
बच्चों को उच्च शिक्षा मिले
शांति और सोहार्दय का माहौल बने
शत्रु देश से हम शक्तिशाली बने
देश पर मर मिटने के लिए
नौजवान सदा तैयार मिले
तिरंगा की शान ना कभी कम हो
मेरे देश का इतना बड़ा नाम हो!
कुमारी अर्चना
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार
22/12/18

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