तुम मेरे दिल में हो मेरा दिल तुम्हारे हाथों में है जैसे कोई आईना ! मेरी जान तेरी कदमों में है, जैसे कि घूल ! मैं तुम्हारे बाँहों में कैद हूँ जैसे कि बंदनी ! मेरी धड़कती साँसे कहती है, तुम मेरे दिल में हो! कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार, मौलिक रचना, २१/४/१८
Tuesday, 6 February 2018
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