मैं जीव हूँ
तुझसे अनुरोध नहीं’
तेरा आवाह्न कर रहा हूँ !
हे ईश्वर मैं तेरा ही अंश हूँ
तुझमें मिलकर ही
एकदिन पुर्ण हो जाउँगा !
पूर्व के नौ रूप तूने
राक्षसों का वध करने के लिए
पर दसवाँ अवतार तुझे
मानव के भैस में छुपे राक्षसों के
संहार हेतु लेना होगा !
धरा पर पाप की अति हो चुकी
पृथ्वी माता तक त्राहिमाम् है
प्रकृति के जीव जन्तु का अस्तित्व तक खतरे में
दुनिया में मानवता भी अवशान पर
मानव मानव के रक्त का पिपासु बन बैठा
स्त्री का अस्तित्व असम्मानीय हुआ
अच्छा बुराई का भेद मिट चला समाज में!
सत्य का अच्छा जगाने
फिर से कलिक अवतार लो!
देखती हूँ तेरी
विजय तेरी अप्राशित रहती है
या तेरी पराजय !
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मैलिक रचना
२१/४/१८
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