Tuesday 6 February 2018

"मैं कृष्ण बोल रहा हूँ"

मैं कृष्ण बोल रहा हूूँ
मैं जल्द फिर से आ रहा हूँ
कलयुग में अपनी माया रचने
अपनी मनमोहक सी छवि लिए
इस छलिया रूपी संसार को
फिर से छलने!
अपनी बाँसूरी को बजाकर
राधा और गोपियों को फिर रिझाने
मीरा का मोहन बनने
मैं कृष्ण बोल रहा हूँ
मैं जल्द फिर से आ रहा हूँ!
जन्म तो मेरा मथुरा में
देवकी के गर्भ से हुआ
पलने में मैया यशोदा ने झूलाया
लालन पालन गऊँअन के बीच
वृदावन के वन में हुआ
खेल खेला सखा सुदमा संग
रास रचाओं गोपिओं और राधा संग
गलियों में कई मयावी राक्षसों को वधकर
उन्हें श्राप से मुक्त किया
कंश के पाप से त्रासित् जनता को
बेडियों से मुक्त कराया
राजशासन का मैंने भोग किया
ना राधा ना ही मीरा का हो सका
रूकमणि संग संसारिक संबंध निभाया!
फिर से कंश रूपी मानव का राज
पृथ्वी ग्रह पे हो रहा है
जिस मानव को प्रखर बृद्धि,
बल व शक्ति दी अन्य जीव,
जन्तुओं की सुरक्षा और आश्रय दें
वही दानव बनकर मानवता का
विनाश कर रहा
दीन-बंधु,दु:खीयों और शिशुओं व
नारी पर नित्य अत्याचार किया
दसवाँ कलिक अवतार लेकर
मैं मानव के अंदर बसे इसी श्रेष्ठा के
दंभ व अहंकार का मरदन करने
जैसे कालिया नाग का किया था
नर या नारी किसी भी रूप में
धरा पे कभी भी प्रकट हो सकता हूँ!
शिव की जटा की पूरी गंगा लेकर
विष्णु का सुदर्शन चक्र लेकर
ब्राह्मा का ब्राह्मास्त्र लेकर
गणेश का ज्ञान व बुद्धि लेकर
इन्द्र का बज्र लेकर
त्रिदेवियों की शक्ति लेकर आ रहा
मैं कृष्ण बोल रहा हूँ
मैं फिर से आ रहा हूँ!
कमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
६/४/१८

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