मुझे एक गहरे गड्ढे में
शांतिपूर्ण दफ़नाया जायें
नीचे उपर दायें बायें
सुमन संग सुलाया जायें
मेरे कफ़न रूप में
ताकि जब
किड़े मेरे बदन को नौचें तो
खुशबूँओं से दर्द का अहसास कम हो जाए!
प्राचीन सैंधव व मिस्र की सभ्यताओं जैसे
मेरी दैनिक वस्तुओं दर्पण,इत्र,पाउडर,साबुन,
अगरधूप,पैन व कॉपी रखा जायें !
मेरा कहा निभाया जायें
और
एक दिन फिर से मैं
एक वृक्ष के रूप में
जन्मूँगी
फल,शीतल छाया दे !
कुमारी अर्चना पूर्णियाँ, बिहार
मौलिक रचना
20/3/18
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