Friday 8 February 2019

"ना मिल तो बस तुम"

ये ज़िदग़ी मुझे मिली
और यहाँ मिली
ख़ुशी-ग़म
हँसी -आँसू
इज्जत -ठोकर
अपने-पराये
दोस्त -दुश्मन
ना मिले तो बस तुम!
वजूद पर प्रश्नचिह्न लगा
मेरा तुम बिन अधुरी रह गई
मैं और मेरी ज़िदग़ी!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना

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