ये ज़िदग़ी मुझे मिली और यहाँ मिली ख़ुशी-ग़म हँसी -आँसू इज्जत -ठोकर अपने-पराये दोस्त -दुश्मन ना मिले तो बस तुम! वजूद पर प्रश्नचिह्न लगा मेरा तुम बिन अधुरी रह गई मैं और मेरी ज़िदग़ी! कुमारी अर्चना'बिट्टू' मौलिक रचना
No comments:
Post a Comment