Friday 22 February 2019

"जिन्दगी दो पाटों के बीच"

जिन्दगी दो पाटों में
आधी आधी बट गई
एक में मैं हूँ एक मैं तुम हो!
आधा अधुरा प्यार मिला
आधी अधुरी जिन्दग़ी
ना कुछ भी पुरा मिल सका
ना मैं कभी पुरी हो सकी
ना मेरी जिन्दग़ी!
अधुरी ख्वाइसों की तरह रह गई
प्रश्नचिन्ह है मैं और मेरी जिन्दगी
क्या यूं ही अधुरी रह जाएगी
तुम बिन....!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'

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