आजा तोहे पिया मैं केसरिया रंग में रंग दूँ तुझे केसर की पंखुरी समझ अपनी सिन्दुर की डिबिया में रख लूँ जब सजूँ सबरूँ में तोहे प्रित समझ अपनी माँग में भर लूँ! कुमारी अर्चना पूर्णियाँ,बिहार
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