मेरी मंजिल वही है जहाँ तुम मिल जाओ चाहे नदी की धारा हो चाहे समुद्र का प्रवाह हो चाहे तूफानी लहरे हो चाहे उमड़ता बादल हो चाहे मचलती पवन के झौंके हो चाहे ज़िदगी का सफर हो चाहे मौत की मंजिल हो! कुमारी अर्चना'बिट्टू' मौलिक रचना
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