Saturday 2 February 2019

"मैं जल जल बन जाऊँ बाती"

बन जाऊँ मैं बाती
अपनी ही लौ से जल जल,
पतंगे की तरह तड़पे मेरा जिया!
फिर भी उफ् न करूँ
हर वक्त तेरी सलामती की दुआ माँगू
जैसे जैसे बाती जले
मेरी साँसो की लौ कम हो
फि भी तुझे नयी साँसे
दे जाँऊ जिन्दगी की!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
2/2/19

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