अमलताश के अनमोल पुष्प भेज रही
तुम्हारे लिए इसे मेरी प्रीत समझ रख लेना
बटुए में गोंद सी सीने पर चिपके रहूँगी
गंधहीन है फिर भी मेरे प्यार की
खट्टी मिट्ठी प्यार की खुशबू देंगी
तुम ही मेरी पहली और
आखरी सच्ची मोहब्बत थे
बाकी मन बहलाने की वस्तु मात्र
जिनसे मैं अब चुकी हूँ!
झूठा लगता है मुझे उनका प्रीत जताना
देखती नज़रों में वासना का छलकना!
बातों में पहले सी धोखे की
बदूब का आना ढ़ोग लगता
उनका कुछ करना या कह जाना!
नजरों से उनकी नियत पढ़ लेती हूँ
जैसे तुम्हारे मन को पढ़ लिया था
ये वही शख्स है जिसको मैं
अपना दिल दे सकती हूँ
तन दे सकती हूँ पर तुम्हे कुछ भी
मेरी प्रीत के बदले नहीं चाहिए था
सिवा प्रीत के!
तुम कोई साधारण मानव नहीं
महापुरूष हो मेरे लिए
श्रृद्धे हो तुम इस श्रृद्धा के
मेरे दिल के कोने भी सदा तुम शेष रहोंगे
यादें बनकर मेरे अशेष बनने तक!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
Monday, 25 February 2019
"अमलताश के अनमोल पुष्प"
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