शब्द क्यों मौन हुए है
मातम पसरा हर ओर है
वीरों की कुर्बानी से रक्त रंजित हुई है
भूमि रो रही है धरती माँ
फट रहा माँ का कलेजा
छीन गई बुढ़ापे की लाठी
उजड़ गई मांग का सिंदूर
सुनी पड़ी बहन की राखी
बच्चों का छीना बचपन!
लड़ रहे" जिहाद"युवा
जिस कश्मीर की आजादी का
उस कश्मीर के कर दो टूकडे टकड़े
विशेष संविधान का अधिकार
और विशेष राज्य का दर्जा हटाओ
बना दो उसे सभान्य राज्य!
भरी जिसके सीने में नफरत हो
चीर दो उसके सीने को
हिंदू हो या मुस्लिम हो
आंतकी जो मचाए आंतक
नामोनिशान उसका मिटा दो
फिर से करो सर्जिकल स्ट्राइक!
जो कर रहे हमारी सीमा को कम
मिटा दो उसके नक्शे को
विश्व के नक्शे से सदा के लिए!
समझाने पर जो ना समझे
छोड़ दो परमाणुबम मोदी जी
जनता मरती है तो मरने दो
आर पार की तुम जंग लड़ो!
पहले भी भारत पाक के बीच
तीन युद्ध लड़ चुके चौथे के लिए
हम नौजवान युवक युवती
वृद्ध और बच्चे भी तैयार है
देश के लिए गोली खाने को बदला चाहिए
पुलवामा हमें शहीद हुए चालिस सैनिको का!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
Sunday 24 February 2019
"बदला चाहिए वीर शहीदों का"
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