तेरी याद बहुत आती मिट्ठू
तूबिट्टू बिट्टू पुकारा करता था
पहले पहले तू कुछ नहीं बोला करता था
एक बार मूझे गुस्सा आया
और मैंने तुझपर चप्पल उठाया!
जिद्दी लड़की हूआ करती थी
तब मैं भय से समझा तुने
या मेरे प्यार का असर पड़ा तुझ पर
क्योंकि मैं और मेरे दोनों भाई
तुझे हरी मिर्च खिलाया करते थे
बाद से तू बस मारा नाम ही
पुकारा करता था मिट्ठू मिट्ठू बिट्टू बिट्टू!
ईष्या सी होती थी सब को
तू केवल मेरा नाम क्यों पुकारा करता है
एक बार माँ को जाने क्या सूझी
ऊपर से गिरते तेज पाइप के आगे
तुझे पिजड़े सहित रख डाला
पहले तो तू उछल उछल नहाया
फिर पानी की चोट से और
ज्यादा देर से रहने से तू ना बचा!
माँ को तेरा घर आँगन में
गंदा करना नहीं भाता था
सबने माँ को दोषी बनाया
माँ ने अपनी गलती स्वीकार की
पहले तो हम खूब रोये फिर
कोई तोता ना घर लाएंगे जो
बिट्टू बिट्टू पुकारेगा
तेरी याद बहुत आती मिट्ठू!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
Saturday, 9 February 2019
"तेरी याद बहुत आती मिट्टू"
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