तुझे याद कर रही हूँ कृष्णा
बड़े दिनो के बाद
मुझे अपने कन्हैया की याद आ रही
तेरी मुरत में उसकी सुरत दिखती
तेरी मुरत में उसकी मुरत
तुझे ही प्यार करती
अपना कन्हैया समझकर
तेरा ही पूजा करती हूँ
अपना कन्हैया समझकर!
मीरा करे भी क्या?
मेरा कन्हैया तो आने वाला नहीं
अब तो तुम ही
मेरी पुकार सुन लो कृष्णा
तुम मेरे कन्हैया बनकर
आज जाओ आधी रात को
मैं अपनी छत पर खड़ी मिलूँगी
प्रेम कै अलिंगन के लिए!
कुमारी अर्चना "बिट्टू"
पूर्णियाँ,बिहार
मौलिक रचना
4/2/19
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