नदी के सीने पर रखा अनेकों अनेकों पत्थर दर्द तो दोनो को होता एहसास ए दिल ना होता दोनों की सिसकियों को ना तुम ना कोई और सुनता! कुमारी अर्चना'बिट्टू' मौलिक रचना
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