आपको सिर झुकाना नहीं था
दिल चुरा ऐसे जाना नहीं था!
कितनी शिद्दत से चाही थी
मैंने उसको मुझको भुलाना नहीं था!
गुनगुना भी हो जिसको मुश्किल
उसको वो गीत गाना नहीं था!
भूतिया कैसी अफ़वाह थी ये
बालको को डराना नहीं था!
रात सोए पेड़ों को ही क्या
फूलों तक को हिलाना नहीं था!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार
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