Wednesday 6 March 2019

"जाने जी कुछ उचट चुका है"

जाने जी कुछ उचट चुका है
मालूम नहीं क्यों ज़िन्दगी से
या मन से या खुद से!
मैं कुछ नाराज सी हूँ
जमाने से
अपनों से
बेगानों से
दोस्तों से
मालूम नहीं किस से ढूढ़ रही हूँ
कोई समाधान इन उठी द्वविधाओं का
जो मुझे सुलझा सके
खुद मुझ से और इन सवालों से!
कुमारी अर्चना"बिट्टू" मौलिक रचना

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