Monday, 18 March 2019

"मेरे चाँद"

चाँदनी की याद में
आज चाँद रो पड़ा
देख चाँद को रोता
सितारे भी रो पड़े!
आसमाँ भी दर्द से
गले तक भर आया
बरखा बनकर आसूँ
जंमी पे छलक पड़े!
रात आज चाँदनी की रोशनी से
और चाँद अपनी चाँदनी से दूर रहा
एक रात की जुदाई
सदियों की जुदाई लगी!
सोचो ग़र चाँदनी ना होगी तो
चाँद कभी ना चमकेगा
ना ही सितारे दमकेंगे
तुम बिन मेरे मुख की आभा भी
फिक्की है मेरे चाँद!
कुमारी अर्चना"बिट्टू"
मौलिक रचना
पूर्णियाँ,बिहार

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