पौधो की ही सब माया है
हम सबको मिलता छाया है!
माली ने मेहनत से सींचा है
अंकुर तब बाहर आया है!
पेड़ो को जब जल डाला है
उससे ही तो फल खाया है!
मौसम की ही बलिहारी से
फल हमने इनसे पाया है!
माली की कोशिश सफल हुई
उससे ही तो फल खाया है!
फूलों ने ऐसी दी खुशबू
तन मन को महकाया है!
पेड़ो का फलना लख-लखकर
माली का मन हर्षाया है!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
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