बरस जाओ बादलों
बिन काले मेघों के!
बरस जाओ बादलों
बिन सावन के!
भींग जाये मेरा तन मन
बिन प्यार के बूँदों के!
नाचूँ मैं मगन होके
बिन बालम के!
अब तो ना तरसाओ बादलों
आ जाओ मेरे बालम बनके!
मेरा हाथ थामने के लिए
वो तो ना आये
बरस जाओ बादलों तुम आज!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना
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