Saturday 9 March 2019

"मैं उसकी माँ नहीं"

जाने क्यों मेरी भावनाओं का वेग
काले बादलों सा उमड़ रहा
और मेरी सोई हुई ममता को जगा रहा
बिजली सी कौध मची है कालेजे में
दिल का एक कौंध मची है कालेजे में
पल भर के लिए आँखे लगने पर
कोई छीन ले जाता मेरी नेहल को
और सुनी कर जाता मेरी गोद
अकास्मात नींद खुलती है
ढूढ़ती हूँ उसको बिस्तर पर
यकायक अभास होता है
मुझको मैं उसकी माँ नहीं!
अदृश्य परछाई नजर आती है
बच्चा माँ की गोद में है
मैं बच्चे की माँ नहीं!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
मौलिक रचना

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