Monday 18 March 2019

"मैं कविताओं में हूँ"

मैं कविताओं में हूँ
कविता मुझमें है
मुझे कविता लिखना
कविताओं को मेरा लिखना पसंद है!
दोनों की भावनाओं को
जाहिर करने के लिए कलम चाहिए
ये कलम मेरी कल्पना है
जिसे मैं अपने कोरे जीवन पर लिखती हूँ
कभी प्रेम तो कभी विरह
कभी खुशी तो कभी गम
ज़िन्दगी के हर पहलू को
इन्द्रधनुष के सतरंगी रंगों से भरती हूँ
जब मैं कविता लिखती हूँ
तो कविता मेरे हृदय से निकलती है
दिमाग उसे शब्दों का रूप देता है
मैं कविता में हूँ
कविता मुझमें है!
कुमारी अर्चना'बिट्टू'
पूर्णियाँ,बिहार मौलिक रचना

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