Sunday 3 March 2019

मेरी गुलमेंहदी"चीरामीरा"

मेरी गुलमेहंदी "चीरामीरा"
देवी-दवाओं की है पहली पसंद
मेरे देवता की भी वो मनपसंद
इंद्रधनुषी की सातरंगी छटा लिए
वो तन मन को है लुभावती!
सफेद फूल भगवान शिव और सरस्वती माता को लक्ष्मी,दुर्गा,काली व गौरी को लाल
और गुलाबी कृष्णा को बढ़ भाती
फूल बैंगनी रंगों की!
हिन्दी में गुलमेहंदी अंग्रेजी में
बाग़ बालसम और चीरामीरा के नाम से
पूर्वी क्षेत्रों में जानी जाए!
बारिश के मौसम में बीज मिट्टी में पड़ते ही
ठंड की ठुठुरन में भी जो रंग बिरंगे खिल जाए
एकहरी सी काया लिए!
इन फूलों को जब नहीं लगाया जाता
वे कीटों द्वारा परागित हो उठते!
बाद फली द्वारा प्रतिस्थापित तो
कभी स्वत: कर्लिग द्वारा फट
ओस की तरह बिखर जाते!
मैं कैसे स्थापित करूँ
तेरे मूरत ओ मेरे कान्हा तू तो
न ही फूल है ना ही कोई पत्थर है तू
तो जीता जागत मानुष है इसलिए
तुझे दिल के मंदिर का देवता बनाकर
गुलमेहदी चढ़ाती हूँ सोचती तू
तुझे मेहदी की तरह घीस कर
अपने हाथों में रच लूँ
तेरे प्यार का रंग कभी न छूटे
तेरा साथ कभी न टूटे!
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार मौलिक रचना

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